जीतेगा जज़्बा "कोरोना" से (The Courage Will Win Over Corona)

  जीतेगा जज़्बा "कोरोना" से 
कोरोना को हराना है...देश से भागना है ...



यूँ लगता है जिंदगी मुरझा सी गयी है,
अरमानों की कली कुम्हला सी गयी है,
सपनों की फ़ेहरिस्त तो अच्छी खासी है,
पर फिर भी छाई एक अजीब उदासी है।

जिस जहाँ को हम अपना समझते थे,
जिधर मन चाहे इत्मिनान से विचरते थे,
वहां अब न जाने क्यूँ लगी पाबंदियां हैं,
पाँवों में लग गयी अनजानी बेड़ियाँ हैं।

एक अनकहे डर से ये रूह काँपती है,
गले मिलने से अब इंसानियत भागती है,
फासले तो पहले भी इस जहाँ में कम न थे,
पर गले मिलने में फिर भी पीछे हम न थे।

ये 'कोरोना वायरस' का अगर प्रभाव है,
हमारे अंदर भी नहीं शक्ति का अभाव है,
किया है हमने कई आपदाओं का सामना,
बस तुम रखो सावधानी, हिम्मत न हारना।

फिर जहाँ में पहले जैसी चहल पहल होगी,
न रहेगा कोई भी कोरोना वायरस का रोगी,
फिर सब खुल के सभी से मुलाकात करेंगे,
अपने जज़्बे से जीत का हम इतिहास रचेंगे।।

- समीर उर्फ 'सहर नवाबी'

Comments

Popular posts from this blog

फ़ितरत

मेरी माँ (माँ पर कविता) - Meri Maa (Maa Par Kavita)

ज़िन्दगी का सच (The Truth of Life)