मेरी माँ (माँ पर कविता) - Meri Maa (Maa Par Kavita)
मेरी माँ
लबों पे उसके हमेशा सिर्फ दुआ होती है,
माँ ही तो है जो हर दर्द की दवा होती है,
सच है कि जब भी माँ हमारे पास होती है,
ज़िन्दगी की हर इक शय खास होती है।
उसे हमेशा अपनी औलाद की फिक्र है,
उसकी सभी बातों में उनका ही जिक्र है,
बस उसके बच्चे खुश और सलामत रहें,
उनके चेहरे पे हंसी देख उसे राहत मिले।
जो चेहरे से ही दिल का हाल जान ले,
जो हमारी हर दुखती रग पहचान ले,
उसे हमारी हर इच्छा का आभास है,
सच कहूँ तो माँ जन्नत का एहसास है।
तुझे किस मिट्टी से बनाया कुदरत ने माँ,
तेरी शख्सियत के आगे फीका है ये जहां,
मैं महफूज़ हूँ तेरे प्यार के सुरक्षा कवच से,
मैं हूँ खुशनसीब तेरी गोद मैँ आया जबसे।।
- समीर उर्फ 'सहर नवाबी'

Sir .. What a beautiful and heart Touching poet you have written . Hat's off to you
ReplyDeleteThank a lot dear����
ReplyDeleteExcellent Kavita concern to mother god bless yo my dear son
ReplyDeleteThanks a lot for your kind blessings 💖🙏
Delete