फ़ितरत
फ़ितरत फ़िक्र में आपकी जो कभी जीते थे, ग़म में आपके जो मरहम की तरह थे, वो अगर आपको छोड़ देते हैं अकेला, तो आप फिर उनसे मत करना गिला.. कर लेना खुद को तुम ज़रा मज़बूत, मत बिखरने देना तुम अपना वज़ूद, कि इम्तेहान है ये तेरी शक़्सियत का, समझो तकाज़ा है यही इस वक़्त का.. वक़्त और हालात हमेशा बदलते हैं, साथ बदलती है इंसान की फ़ितरत, कभी दूसरों की सोच से भी हो मज़बूर, अपने ही भूल जाते हैं प्यार की नज़ाकत.. कोई इज़्ज़त पाने की ख़ातिर तड़प रहा, और कोई इज़्ज़त पा के भी झड़प रहा, बस रखो साफ़ ये मन आईने की तरह, मत बनो किसी के दिल टूटने की वजह.. ये दुनियाँ कई तरह के रंग दिखाती है, कभी अपनो को भी पराया बनाती है, मत भूलो कि आज जिसने ठुकराया है, यही वक़्त तो उसका भी हमसाया है।। - समीर उर्फ "सहर नवाबी"