श्रीराम की महिमा
श्रीराम की महिमा वो प्रभु श्री राम जो एक प्रण के लिए, वन वन भटके होटों पे मुस्कान लिए, जिनका नाम लेते ही शुभ समय आये, आज अयोध्या फिर से उनके गीत गाये। जो सदा से जग के पालनहार रहे हैं, जिनका गुण गान यह संसार किये है, जो समूची सृष्टि के तारणहार रहे हैं, वो फिर मंदिर में विराजमान हो रहे हैं। वो मर्यादा पुरूषोत्तम और चरित्रवान हैं, वो जगत में अतुलनीय और सबसे महान हैं, मन में उनके प्रति प्रेम और सम्मान बहुत है, प्रसन्नता के लिए श्री राम का नाम बहुत है। इस जगत में आदर्शों के नायक हैं वो, हर परिस्थिति में पूजने लायक हैं वो, जिसने संसार को जीने की रीत सिखाई, देंगे अयोध्या में दर्शन फिर से वो रघुराई। कितनी प्रतीक्षा के बाद ये रुत है आयी, कितने त्याग के बाद ये शुभ घड़ी है आयी.. अब दर्शनों को व्याकुल मन होंगे सफल, तर जाएंगे देखकर दिव्य मूरत एक पल। श्री राम रोम-रोम में समाए हैं इस तरह, पानी में चीनी घुल जाती है जिस तरह, बस यूं ही श्री राम का दरबार सजा रहे, हर युग में उनका प्रताप हम पर बना रहे।। सप्रेम भेंट - समीर